बास के अठारह राज्यों में सेवारत हजारों आजीवन सदस्यों, कार्यकर्ताओं, अन्वेषकों और पदाधिकारियों की ओर से यहाँ पर आपका हार्दिक स्वागत है! 1993 में स्थापित यह एक ऐसा संगठन है, जिसके खुद्दार सदस्यों ने आज तक किसी गैर सदस्य, सरकार या अन्य किसी भी देशी या विदेशी एजेंसी से एक पैसा भी अनुदान (डोनेशन) नहीं लिया| कृपया baasvoice.blogspot.com, baasindia.blogspot.com, ppnewschannel.blogspot.com को भी पढ़ने का कष्ट करें! E-mail : baasoffice@gmail.com
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एक नागरिक, समाज की सबसे छोटी इकाई है| यदि एक नागरिक अपने कर्त्तव्यों का निष्ठापूर्वक एवं ईमानदारी से पालन नहीं करता है तो मात्र इसी कारण-उसके परिवार, समाज एवं प्रशासनिक व्यवस्था में अनेक प्रकार की समस्याएँ तथा विकृतियॉं पैदा होने लगती हैं| जिससे समाज का अनुशासन बिगड़ता है| अनुशासनहीनता की अनदेखी करने से समाज में अपराध एवं अपराधियों का जन्म होता है| जिनसे निपटने के लिये देशभर में पुलिस, अनेक प्रकार के कानून, न्यायालय और जेल संचालित हैं| इस सबके बावजूद भी भारत के हर क्षेत्र में, हर दिन लगातार अपराध तथा अपराधी बढते ही जा रहे हैं| इन सब समस्याओं का मूल में निम्न तीन कारण हैं-
(1) लोक सेवकों और जनप्रतिनिधियों का जनता के प्रति निष्ठावान नहीं होकर, लगातार बेईमान तथा असंवेदनशील होते जाना|
(2) जनता, लोक सेवकों और जनप्रतिनिधियों द्वारा ईमानदारी एवं विधिपूर्ण तरीके से अपने-अपने कर्त्तव्यों एवं अधिकारों का निर्वाह नहीं करना| और
(3) लोक सेवकों और जनप्रतिनिधियों पर जनता की निगरानी की संवैधानिक व्यवस्था का अभाव तथा आम जनता द्वारा अन्याय के खिलाफ आवाज उठाने के बजाय, भयभीत होकर चुप्पी साध लेना|
परिणामस्वरूप देशभर में, हर क्षेत्र में-‘भ्रष्टाचार एवं अत्याचार’ तेजी से बढते जा रहे हैं| शोषित, दमित, उपेक्षित, नि:शक्त और विपन्न लोगों को न्याय एवं विधिक संरक्षण मिलना तो दूर, बल्कि उनका शोषण हो रहा है| ऐसे भयावह हालातों में 1993 में स्थापित ‘भ्रष्टाचार एवं अत्याचार अन्वेषण संस्थान’ (BAAS) जैसे समर्पित, देशभक्त तथा जनहित चिन्तक संगठन की समाज में जरूरत और उपयोगिता हर दिन बढ रही है| देश के सभी लोगों को समझना होगा कि हमारी असली ताकत कानून या संविधान नहीं, बल्कि आम शोषित, दमित, उपेक्षित, नि:शक्त और विपन्न लोगों की एकजुट ताकत ही है| क्योंकि किसी भी लोकतान्त्रिक देश की असली ताकत, उस देश की आम जनता में ही निहित होती है| अत: मित्रो साहस के साथ सच कहने का साहस जुटाओ और अपनी बात पूरी ताकत के साथ बोलो, क्योंकि-
बोलोगे नहीं तो कोई सुनेगा कैसे? लिखोगे नहीं तो कोई पढ़ेगा कैसे? दिखोगे नहीं तो कोई देखेगा कैसे?
चलोगे नहीं तो पहुंचोगे कैसे? लड़ोगे नहीं तो जीतोगे कैसे?

मित्रो-नाइंसाफी के खिलाफ सफलतापूर्वक काम करने के तीन मूल सूत्र हैं :-
1-एक साथ आना शुरुआत है| 2-एक साथ रहना प्रगति है! और 3-एक साथ काम करना सफलता है|
इसलिये-सबसे ज्यादा जरूरी है कि-अपने आपको बदलो! दुनिया बदल जायेगी|
भय और अज्ञान की नींद से जागो! उठो! बोलो! न्याय जरूर मिलेगा|
हमारा मकसद साफ! सभी के साथ इंसाफ!-डॉ. पुरुषोत्तम मीणा राष्ट्रीय अध्यक्ष-"बास"

साहस के साथ सच कहो और आज ही जोइन करो!
भ्रष्टाचार एवं अत्याचार अन्वेषण संस्थान (बास) की सदस्यता ग्रहण करो!
नये लोग आजीवन प्राथमिक सदस्यता का फॉर्म भरते समय निम्न बातों का ध्यान रखें-
1. फॉर्म भरने से पूर्व फॉर्म की ए/4 साइज के कागज पर फोटो-कॉपी अवश्य करवा कर रखें|
2. आवेदक का नाम, पता आदि सम्पूर्ण विवरण, आवेदक के सरकारी रिकार्ड के अनुसार भरें|
3. फॉर्म में हर जगह केवल 0123456789 अंकों का ही उपयोग करें, हिन्दी अंकों (०१२३४५६७८९) का नहीं!
4. फॉर्म में काटपीट या ओवर राईटिंग हो जाने पर दूसरा फॉर्म साफ-साफ और स्पष्टता से भरें|
5. आवेदक का और अनुशंसाकर्ता दोनों का फोन/मोबाइल एवं ई-मेल अनिवार्य रूप से लिखें|
6. शुल्क एमओ से भेजें तो शुल्क का पूर्ण विवरण एमओ फॉर्म में सन्देश के स्थान पर भी लिखें|
7. जो विवरण अंग्रेजी में लिखना है, उसे अंग्रेजी के केवल कैपीटल लैटर्स में साफ-साफ लिखें|

Wednesday 5 October 2011

सदस्यता, नियुक्ति/फोटो कार्ड-शुल्क, अनुदान, अन्य खर्चें और सहयोगी समाचार-पत्र प्रेसपालिका आदि के सम्बन्ध में नीतिगत दिशा-निर्देश|

सदस्यता, नियुक्ति/फोटो कार्ड-शुल्क, अनुदान, अन्य खर्चें और सहयोगी समाचार-पत्र प्रेसपालिका आदि के सम्बन्ध में नीतिगत दिशा-निर्देश के बारे में भ्रष्टाचार एवं अत्याचार अन्वेषण संस्थान का नीति-परिपत्र पत्रांक : एस/25806/94/नीति-परिपत्र/2011-1 जारी दिनांक : 05.10.2011 को विस्तार से पढने के लिए यहाँ क्लिक करें!

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